माँ दंतेश्वरी का मंदिर जगदलपुर जिले का प्रसिद्द मंदिर है और माँ दंतेश्वरी 52 शक्तिपीठो में से एक
माता है यह मंदिर 600 वर्ष पुराना मंदिर है इस मंदिर का निर्माण 14वी शताब्दी में काकतीय( चालुक्य)
वंश के राजा भैरमदेव के द्वारा कराया गया था | और तदन्तर शासन के द्वारा इसका समय
समय पर जीर्णोद्वर एवं मरमतकिया जाता है |
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा में (नवरात्री पर्व में ) कलश स्थापना के साथ ही माँ दंतेश्वरी का पूजा विधान प्रारंभ होता है
आश्विन शुक्ल षष्ठी को रात्रि 8.00 बजे बेल न्योता हेतु ग्राम सरनीपाल जाते है तथा वहां स्थित बेल व्रक्ष
पर जोड़ा बेल को न्यौता देकर वापस आते है सप्तमी को पूजा विधान के साथ बेल फल माँ दंतेश्वरी के
मंदिर लाया जाता है |
दुर्गा महाअष्ठमी क एडिन हवं कुंवारी कन्या भोग का आयोजन किया जाता है इसी दिन अर्ध्दरात्रि को
निशा जात्रा के पश्चात् माँ दंतेश्वरी मंदिर में स्थित समेश्वरी देवी को पूजा अर्चना की जाती है |अर्ध्द रात्रि में
पूजा विधान संपन किया जाता है |
नवमी के रात्रि 8.00 बजे माँ दंतेश्वरी मंदिर में आमंत्रित सभी देवी देवताओ तथा
नवरात्री के समय यहाँ 1000 से 2000 ज्योति कलश जलाया जाता हैऔर नव रात्रि में हजारो की संख्या
में लोग माँ दंतेश्वरी की पूजा अर्चना करते हैऔर अपनी मनोकामना को पूरा करते है |माता के दर्शन के
लिए छत्तीसगढ़ के सभी जगह से लोग आते है |मनोकामनापूरी होने पर ज्योतिकलाशरखा जाता है |
यहाँ पर माता दुर्गा , काली माता और हनुमान भगवान की प्रतिमा विराजितहै |
मंदिर के खुलने का समय – सुबह 7बजे से 1.00 बजे तक
दोपहर 4.30बजे से 9.00 बजे तक
मंदिर कहा पर स्थित है – छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिले से करीब 1.5 कि.मी. की दुरी पर माँ दन्तेश्वरी का मंदिर स्थित है |मंदिर तक पहुचने का मार्ग- यहाँ पर सड़क मार्ग और रेलवे मार्ग उपलब्ध है |
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