मरही माता का मंदिर बिलासपुर (भनवारटंक)|| Marhi Mata Mandir Bilaspur ( Bhanavartank )

मरही माता का मंदिर घनघोर जंगल के बीच में स्थित है मरही माता का मंदिर की

स्थापना ब्रिटिश शासन में किया गया था सन 17 जुलाई 1981 मे मंदिर का निर्माण

किया गया है माता का मुर्ति नीम पेड के नीम स्थित है

मरही माता के दर्शन के लिए प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में भक्त आते हैं और पूजा

पूजा अर्चना करके अपनी मनोकामना मानते हैं और चैत्र नवरात्रि तथा रामनवमी

नवरात्रि के समय हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं और

चुनरी नारियल तथा कागज में अपनी मनोकामना को लिखकर पेडो पर लाटकाते

है |

माँ मरही के दरबार में आने वाले सभी भक्तो की मनोकामनाओं को मरही माता

पूरा करती है इस लिए छत्तीसगढ़ के सभी जगहों और अनेक राज्यों से लोग माता

के दर्शन के लिए आते है | भक्तो की मनोकामना पूरी हो जाने पर भक्त ज्योति

कलश और बकरे की बलि देने की प्रथा है बताया जाता है की भक्तो की

मनोकामना पूरी होने पर चुनरी बंधे नारियल को फोड़ के प्रसाद के रूप में सभी को दिया जाता है

ऐसी मान्यता है कि श्रद्धालु अपनी मन्नतें पूरी होने पर बकरे की बलि आज भी दे रहे

हैं, मंदिर जिसके सामने भव्य तालाब है, जिस पर लोग भोजन प्रसाद भण्डारे की

व्यवस्था है। भनवारटंक में सभी लोकल ट्रेन रूकती हैं, यहां पर कोई भी प्रकार से

मोबाइल का नेटर्वक काम नहीं करता जिससे लोगों को बहुत परेशानिओं का

सामना करना पड़ता है. नवरात्रि के समय में मातारानी के मंदिर के सामने से

गुजरने वाली ट्रेनों के पहिए अपने आप रुक जाते हैं।

इस मंदिर से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं जिसमें यह बताया जाता हैं कि

मरहीमाता कहां से आयी कैसे प्रकट हुई कई लोगों का मानना हैं कि इस मंदिर के

पास जो नीम का पेड़ मां मरही माता उसी पेड़ प्रकट होकर लोगो को अपने दर्शन दिये थे

इसके अलावा कहे जाने वाली एक और कहानी हैं कि 1980 के पहले इस मंदिर के

बारे में किसी को पता नहीं था और जब 1982-1984 में नर्मदा एक्‍सप्रेस की दुर्घटना

एक मालगाड़ी के साथ हुई थी तब यह जगह प्रकाश मे आई थी उस समययहां

रहने वाली आदिवासी जनजाति पेड़ो पर चुनरी व नारियल बांध कर रखती थी |

जब दुर्घटना के कारण यहां लोगो कि आवाजा ही भीड़ बढ़ी तब लोगो ने इन

आदिवासियों से पूछा की आप पेड़ो पर एैसे चुनरी नारियल बांधकर क्‍यों रखते

हैंतब जवाब में उन्‍होनें कहा कि यह उनकी आराध्‍य देवी मरही माता का स्‍थान

हैंऔर वे उनकी पुजा करते हैं और तब से ही यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना बढ़

गया । और आज एैसा है कि यहां हर दिन लगभग हजारों की संख्‍या में श्रद्धालु आते

हैं

मरही माता के दर्शन के लिए और आज भी जब भी यहां से ट्रेन गुजरती है तो ट्रेन

का चालक ट्रेन की रफतार धीमी कर देता हैं और मरही माता को एक बार प्रणाम

जरूर करता हैं और कहते हैं उस हादसे के बाद इस मार्ग पर एक भी हादसा नहीं

हुआ हैं मरही माता अपने भक्‍तो की यात्रा को मंगलमय बनाये रखती हैं

माता के मंदिर के सामने शंकर भगवान और भैरव बाबा का मूर्ति बना हुआ है औरमाता के मंदिर के सभी जगहों पर नारियल बंधे दिखाई देता है |

माँ मरही देवी का मंदिर कहा पर है – माता मरही देवी का मंदिर बिलासपुर जिले केभनवारटंक से 1 कि.मी. की दुरी पर स्थित है

मंदिर तक जाने का मार्ग – सडक मार्ग और रेलवे मार्ग उपलब्ध है |

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