माँ मडवारानी का मंदिर कोरबा जिले का प्रसिध्द मंदिर है
मां मडवारानी
कोआदिशत्ति माता का मंदिर भी कहा जाता है माता का मंदिर राजाओ के
समय का है और माता का मंदिर पहाड के ऊपर बना है मंदिर के आस पास
जंगल और खाई है जो भक्तो को अपनी ओर आकर्षित करता है और यहाॅं
प्रति दिन सैकडो की सख्यां मे भक्त आते है और चैत्र नवरात्रि तथा
रामनवमी नवरात्रि मे हजारो की सख्यां मे भक्त माता के दर्शन के लिए आते
है माता के दर्शन के लिए छत्तीसगढ के सभी जगहो से आते है|
यहाँ पर भक्त पुजा-आर्चना करके अपनी मनोकामना मानते है और माता सभी भक्तो की मनोकामना को पुरी करती है और मनोकामना पुरी हो जानेपर ज्योति कलश और बकरे तथा मुर्गे कि बलि दी जाती है|माता के दरबार मे दुर्गा माता, पिंडी माता और काली माता कि मुर्ति बनाये गये है|
मंदिर का इतिहास
कहा जाता है कि दोस्तों जब मां मड़वारानी की शादी अपने पिता जी द्वारा
तय की गई थी इसे यह शादी नहीं करना चाहते थे और इसे अपना शादी के
मंडप को छोड़कर भाग गए मंडप जिसे छत्तीसगढ़ के मालवा भी कहा
जाता और भागकर वह बरपाली मड़वा रानी के यहां चले गए रास्ते में पहुंची
जहां उसने शरीर पर शादी के लिए लगी हल्दी एक पत्थर पर पड़ गई
जिससे वह पत्थर पीला पड़ गया जिससे आज भी इस ग्राम में देखा जा रहा
है मां मड़वारानी पहाड़ पर ही शरण ली और वही से उन्हें मां मड़वारानी
कहा जाने लगा जिससे बात भक्तों की मड़वारानी बन गई और लोगों पर बनी रही|
इसके अलावा एक और कहानी प्रचलित है दोस्तों जो कनकी के शिव मंदिर
में जुड़ी हुई है की मां मड़वा रानी कनकी के शिव धाम से शिव जी के
आदर्शना लेकर इस ग्राम में आ गई और वहां के लोगों की रक्षा करने लगी
साथ जब आप यहां मंदिर आते हैं तो आपको यहां कलमी के पेड़ देखने को
मिलेगा जिसके बारे में कहा जाता है कि मां मांडवी रानी द्वारा अपने भक्तों
के लिए कलमी के पेड़ पर जब नवरात्रि आती है तो पत्तियों में जवाब जाता है
जिससे समक्ष आपको यहां के ग्राम वासियों से पूछताछ कर पता चल जाता
है और यह भी कहा जाता है जब जवाला उगा होता है तब सांपों को इन
कलमी पेड़ों के आसपास विचरण करते लगते हैं
मंदिर कहा है –
माता का मंदिर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से 29 कि.मी. दूर खरहरी गाँव मे माँ मडवारानि का मंदिर विराजित हैं