माँ सर्वमंगलादेवी मंदिर कोरबा जिले के प्रसिद्ध मंदिर मेंसे एक है।
इस मंदिर की देवी को दुर्गा माता भी कहा
जाता है। इस मंदिर के निर्माण के जमींदार में से एक राजेश्वर दयाल के पूर्वजों द्वारा बनाया गया था। सर्वमंगला
मंदिर का इतिहास वैसे तो 122 साल पुराना है। जिसकी स्थापना सन् 1898 के आस पास मानी जाती है।लेकिन
इससे भी सालों पुरानी यहां एक और चीज है। वो है सूर्यदेव के मनमोहक प्रतिमा के
समीप स्थित वटवृक्ष, मंदिर
के पुजारी अनिलपाण्डेय की मानें तो यह वट वृक्ष लगभग 500 वर्ष पुराना है।इस
वृक्ष की सबसे बड़ी खासियत है
कि इसे मानोकामना पूरा करने वाला वृक्ष माना जाता है।पूर्व में इस वृक्ष के नीचे
हाथी भी आकर विश्राम किया
करते थे।
इसके बाद पिछले कुछ वर्षों तक विशाल वटवृक्ष के झूले जैसे तनों पर मयूर भी
आकर विश्राम व क्रीडा
करते थे यह मान्यता पिछले कई वर्षों से चली आ रही है।
माँ सर्वमंगलादेवी के मंदिर में हजारो की संख्या में भक्त माता केदर्शन के लिए आते
है और माता की पूजाअर्चना
करके अपनी मनोकामना को मानते है |माता के दर्शन के लिए छत्तीसगढ़ से और
भारत के विभिन्न जगहों से भक्त
आते है |
भक्तमाता के दरबार में संतान प्राप्ति , नौकरी पाने , और विभिन समस्यों को ले
कर आते है और माता
अपनी सभी भक्तो की मनोकामना को पूरी करती है
यहाँ चैत्र नवरात्रि और रामनवमी नवरात्री के समय माता के दरबार में लाखो की
संख्या में भक्त माता के दर्शन के लिए आते है भक्तो की मनोकामना पूरा हो जाने
पर यहाँ ज्योतिकलश भी जलाया जाता |
यहाँ हजारो की संख्या में ज्योतिकलश जलाया जाता है मंदिर त्रिलोकिननाथ मंदिर,
काली मंदिर और ज्योति कलाश भवन से घिरा हुआ है।वहाँ भी एक गुफा है, जो
नदी के नीचे जाता है और दूसरीतरफ निकलता है।
माँ सर्वमंगला देवी का मंदिर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से 10 कि. मी. सर्वमंगला पारा पर स्थित है
मंदिर तक जाने का मार्ग –
- कोरबा से 8 कि. मी. की दुरी पर माता का मंदिर विराजित है |
- जांजगीर चांपा से 50 कि. मी. की पूरी पर माँ सर्वमंगला देवी का मंदिर स्थित है
- बिलासपुर से 80 कि. मी. की दुरी पर माता मंदिर स्थित है|