रामगढ़ की पहाड़ छत्तीसगढ़ ( अंबिकापुर )

छत्तीसगढ़ प्राकृतिक द्वश्यो से एक संपन्न राज्य है जिसका अपनी प्राकृतिक छटा अपने आप में अनोखा है | कहीं पर नदी , कहीं पर पर्वत , तो कहीं पर राष्ट्रीय उद्यान उपस्थित हैं जो छत्तीसगढ़ में होने वाले महत्वपूर्ण एग्जाम cgpsc , cgvyapam आदि ।

रामगढ़ की पहाड़ जो छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक तथा पुरातात्विक का परिचय देता है रामगढ़ पर्वत टोपी की आकृति का है। रामगढ की पहाड़ को रंगगिरी के नाम से भी जाना जाता है यह पहाड़ दक्षिण कौशल में रामायण के कालीन संस्कृति का इतिहास यहाँ पर देखने को मिलत है |समुद्र तल से करीब 3000 फीट की उचाई में श्रीराम जानकी का मंदिर बनाना हुआ है |और श्रीराम जानकी का मंदिर 2000 साल से अधिक पुराना मंदिर है यह पर महल के अवशेष भी देखने को मिलते है र

रामगढ की पहाड़ो में सीता बेंगारा गुफा , जोगीमारा गुफा और तिलाक की गुफा उपस्थित है यहाँ का प्रसिद्ध गुफा चन्दन गुफा है मंदिर के पास में कुंड बना हुआ है जो कभी नहीं सूखता है | पहाड़ के निचे भी कुंड बना हुआ है श्रीराम के दर्शन के लिए सेकड़ो की संख्या में भक्त आते है रामगढ के पहाड़ में श्रीरामजानकी का मंदिर , हनुमान, कृष्ण , और विष्णु भगवान की मंदिर बना हुआ है

सीताबेंगारा एवं जोगीमारा गुफा

सीताबेंगारा एवं जोगीमारा गुफा प्रारम्भिक भारतीय प्रस्तर उअत्खनित सरचना का एक प्रमुख उदाहरण है जो छत्तीसगढ़ में स्थित है सीताबेंगरा एक लघु आकार की गुफा है जहा पर सीढियों व्दारा पंहुचा जा सकता है

इसका भू- विन्यास आयताकार है सम्मुख भाग में समतल छत है गुफा 14 मीटर लम्बी , 05 मीटर चौड़ी तथा 1.8 मीटर ऊंची है गुफा के पूर्वी दीवाल पर अशोक कालीन( ईसापूर्व तीसरी शताब्दी ) का ब्राही लिपि में उत्कीर्ण अभिलेख है|

तुलनात्मक छोटे आकार में उत्खनित जोगीमारा गुफा की लंबाई 3 मीटर, चौड़ाई 1.8 मीटर ,ऊंचाई 1.8 मीटर है उत्तर – पूर्वी भूमि इस गुफा का आंतरिक भाग गजपृष्ठ आकार है जिसका अंदर विभिन्न प्रकार के चित्रण के साथ-साथ ईसा पूर्व तीसरी_ दूसरा शताब्दी का ब्रह्म लिपि में अभिलेख उत्कीर्ण है अभिलेख में देवदासी सुतनुका एवं देवदानी के प्रेम प्रसंग का उल्लेख है संभवत यहां देवदासी प्रथा का प्रारभिक उल्लेख है गुफा में निर्मित चित्र मे न्रुत्य समूह , फूलदार पौधे , ज्योमितीय ,मत्य पशु समूह आदि प्रमुख है लेकिन में हिंदी रूपांतरण निम्नलिखित है

  • सुटनुक
  • देवदाशिव
  • सुतनुका नाम देवादशी
  • ता कामविय बालू।
  • देवादी नाम लूतदखे

मंदिर तक जाने का मार्ग –

अंबिकापुर से 45 कि.मी. की दुरी पर रामगढ का पहाड़ स्थित है

Letest Job Information के लिए Follow करे

Click Hare

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: