सिंधु बॉर्डर में संविधान और गांधी

कॉन्ग्रेस कामरेज इसका प्रतिनिधित्व करती है इसके जवाब में 18 सितंबर 1971 को राष्ट्रपिता ने लंदन में फेडरल स्ट्रक्चर, कमेटी से कहा था कांग्रेस मूलतः भारत के साथ लाख गांव में बसे मुकदमों के करोड़ों लोगों का प्रतिनिधित्व करती है , .कांग्रेश मानती है कि उनके हितों की सुरक्षा की जानी चाहिए 1971 में लंदन में दूसरे गोलमेज सम्मेलन में गांधी ने यह कह दिया था असल में कांग्रेस भारत के करोड़ों ऐसे लोगों का प्रतिनिधित्व करती है जिन्हें पेट भर रोटी नहीं मिलती कांग्रेश उन्हीं वर्गों के हितों की रक्षा करेगी जिन के हित में इन करोड़ों का हित है मुझे कांग्रेस की ओर से कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी कि वह इस करोड़ों लोगों के हितों की खातिर बाकी सभी सीटों को कुर्बान कर देगी 26 जनवरी 1950 से भारत गणतंत्र घोषित हुआ 30 जनवरी 1948 को गांधी की हत्या हो चुकी थी फिर भी तो ग्रस्त संविधान सभा में ना देखें दो सबसे प्रिय मुद्दों ग्राम स्वराज और हिंदुस्तानी भाषा की आवश्यकता लेदर और उपेक्षा की गई प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर अंबेडकर नेता के साथ मिलने से गांधी समर्थक तकरीबन सभी सुझाव और और संशोधन को खारिज किया तल्खी से कहा कि बुद्ध जीवो का ग्रामीण प्रेमी असीम और कर्णिक दिखाई पड़ता है ऐसा प्रतीत होता है कि भारत के गांव का वर्णन था जिसे उनके इंग्लैंड में हाउस ऑफ कॉमस की कृषि समिति के समक्ष 1632 में रखा था अंबेडकर ने कहा भारतीय गांव में भले ही विदेशी आक्रमणकारियों के हमले से लेंगे लेकिन उन्होंने लगभग शुतुरमुर्ग की प्रवृत्ति का परिचय दिया और किसी तरह जीवित कर रहे हैं बेला को कर यह भी कहा यह कथित ग्रामीण जड़ तंत्र भारतीय की बर्बादी रहे हैं उन्हें यह बात की प्रसन्नता है कि संविधान के प्रारूप में गांव की बुनियादी की कार्यों के रूप में उपेक्षा की गई उसके बदले व्यक्तियों को इकाइयों बनाया गया है आजादी की लड़ाई के दौरान भारतीय कम्युनिस्टों का एक रुप दिया था उन्होंने कहा गांधी के कारण साम्यवादी आंदोलन तेजी से नहीं कॉमरेड किया भारत के किसान कहां है जवाब मिला गांधी के साथ लेनिन ने कहा आजादी के आंदोलन में कूद पड़े हो सके तो गांधी को निकाल बाहर करो लेकिन किसानों को मत छोड़ो किसान के पसीने का अपने चिंतन और कर्म में सम्मान लिंफेटिक नहीं मिलता है आज के भारतीय हुक्मरानों से नहीं विवेकानंद के भाई उपेंद्र दत्त ने 1929 कांग्रेस के कराची अधिवेशन में एक नोट जवाहरलाल नेहरू को दिया था किसानों को मुल्तवी कर दिया जाए नेहरू ने उसे मंजूर किया था वह ऐतिहासिक दस्तावेज गुम हो गया है अफसोस है आजाद हिंदुस्तान के संविधान और प्रशासन में विकास को मुनासिब अधिकार नहीं मिले के. हनुमंतैया ने गांधीवाद नजरिया से संविधान को जानते शिकायत की आजादी के सुरमा ओं के ऊपर ऐसे बुद्धिजीवियों का अनचाहा असर हो गया है जिन्हें पश्चिमी सभ्यता का मानस पुत्र कहा जाना चाहिए महात्मा गांधी इस तरह के संविधान को नहीं चाहते थे हम इसका निर्णय नहीं कर सकते कि लोकतंत्रात्मक संविधान में विश्वास को कर तथा शर्मा गांधीजी के संविधान के विचारों की छोड़ छुट्टी करके कमेंट किया है या नहीं निर्णय भविष्य करेगा वास्तव में लोकतंत्र की नकल की दिल्ली में है लाखों किसान भुखमरी के कारण आत्महत्या कर रहे हैं अभियुक्त भाव के सरकारी आंकड़ों से किसानों की आत्महत्या की इबारत हटा दी है गांधी ने कहा था आत्मनिर्भर भारत पर नहीं हो कोयला लोहा मैगनीज उत्पादन पानी आने से किसानों को बदलकर कारपोरेट कीर्ति छोरियों के जरिए विश्व बाजार को औने पौने दामों पर जनता से छीन लिए गए धन को माफी सुधा कर्ज में तब्दील करके कुकर्म सरेआम किए जा रहे हैं किसान को ₹100 देते उपभोक्ता को वही वस्तु हजार रुपे में दी जाती है सरकारी संरक्षण में बिचौलियों कॉरपोरेटीवो दलालों भारतीयों और एजेंसियों का जखीरा फल फूल रहा है गांधी के बाद देश वैसे विचार की गिरफ्त में है गांधी को अमेरिका से इतना परहेज ताकि आमंत्रण मिलने पर भी अमेरिका नहीं गए आज हिंदुस्तान अमेरिका का उपनिवेश बनाया जा रहा है भारत अमेरिका के लिए सबसे बड़ा बाजार है साथी देश नहीं पूंजी सड़ी गली दवाइयां नंगे संस्कृति राजनीतिक हस्तक्षेप नौकरियों का झांसा दोयम दर्जे का नागरिक व्यवहार अमेरिका देना देश पर किताबी अर्थव्यवस्था का बौद्धिक शिकंजा है किताब विद्वानों ने बिना विकास की कल्पना ही नहीं की जा रही है जो छवि बनाने में भी अमेरिका का सबसे बड़ा हाथ जनता की ताकत को ही अमेरिका लगता है आज मीडिया बिकाऊ है तंत्र है वह केवल झूठी खबरें नहीं चाहता अफवाहों का सच भी करता है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मिलकर देश की पीठ पर खंजर मार रहे हैं वह संविधान और गांधी की दोबारा हत्या के बराबर है देश मुट्ठी भर क्योंकि दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब अपनी छाती पर लादे हुए देश को ही हिंदू स्वराज का सपना गांधी ने दिखाया था अमेरिका देश है गांधी को सहस्त्र वादी नायक कहता है लेकिन उनके ऐतिहासिक सच को कुंडली वाक्य कूड़ेदान में डालने के लिए अर्थ शास्त्रियों ने एक गिरोह को हिंदुस्तान का भविष्य दिखाने का काम देखा करता रहता है भारत में किसान बहुत ही बुरी हालत में है शासकीय नीतियां कार्यक्रम और उनके क्रियान्वयन में या तो गांव की उपेक्षा हुई है या उनका शोषण यह गांधी की दृष्टि में आधुनिक सभ्यता के कारण हुआ गांधी होते तो किसान के अंदर दोनों का नया और असरदार विरोध करने वाले को कतई बर्दाश्त नहीं होता इस तरह से गांधी आंदोलन करते थे

प्रजातंत्र में सरकारी भ्रष्टाचार और आंदोलन को गांधी इतिहास में नहीं दिखाई देता मानव अधिकार विरोधी को खुली चुनौती दे संविधान लागू करने की घोषणा हो गई है तो सरकार की लालच में किसी भी हालत में क्षेत्र नहीं बनने देते लुटेरों को नहीं जानते तो किसानों की हत्या कर दी सरकार का सत्याग्रह के हथियार से मुकाबला करते

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