हिमालय अपवाह तन्त्र || Himalayan drainage system

हिमालय अपवाह तन्त्र || सिन्धु नदी तन्त्र || गंगा अपवाह तन्त्र || गंगा के दाहिने तट से मिलने वाली नदियाँ || ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र || प्रायद्वीपीय अपवाह तन्त्र

सिन्धु नदी तन्त्र

सिन्धु नदी की कुल लम्बाई 2880 किमी (जिसमें भारत में 1114 किमी) है।

उद्गम तिब्बत के कैलाश पर्वत श्रेणी में बोखर चू के निकट एक हिमनद से।

इसे तिब्बत में सिंगी खंबान’ या ‘शेर मुख’ कहते हैं।

पर्वतीय क्षेत्र में श्योक, गिलगित, जास्कर, हुंजा, नुंबरा, शिगार, गारिबग व डास हैं।

मीथनकोट के पास पंचनद का जाल (सतलुज, रावी, व्यास, चेनाब, झेलम) प्राप्त करती है।

झेलम पीरपंजाल श्रेणी में बेरीनाग झरने से निकलती है। वुलर झील से प्रवाहित होते हुए पाकिस्तान में झंग के निकट चेनाब से मिलती है।

चिनाब सिन्धु की सबसे बड़ी सहायक नदी है, जो चन्द्र एवं भागा नामक दो सरिताओं के मिलने से बनती है, इसे ‘चन्द्रभागा’ के नाम से भी जाना जाता है।

व्यास रोहतांग दर्रे के निकट व्यास कुण्ड से निकलती है। कुल्लू घाटी होते.हुए हरिके के पास सतलुज में मितली है।

रावी रोहतांग दर्रे के पश्चिमी भाग से निकलती है। चम्बा घाटी से होते हुए। सराय सिन्धु के निकट चेनाब नदी में मिलती है।

सतलुज मानसरोवर के निकट राक्षस ताल से निकलती है (यहाँ लॉगचेन) खम्बाव के नाम से जानी जाती है। यह एक पूर्ववर्ती नदी है।

गंगा अपवाह तन्त्र

उत्तरकाशी जिला में गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से निकलती है, जो भागीरथी के नाम से जानी जाती है।है।

देवप्रयाग में भागीरथी व अलकनन्दा का संगम होता है, जिसके बाद यहगंगा के रूप में जानी जाती है।

अलकनन्दा बद्रीनाथ के निकट सतोपंथ हिमनद से निकलती है।

जोशीमठ या विष्णुप्रयाग में धौली एवं विष्णु गंगा से मिलने के बाद अलकनन्दा बनती है।

कर्णप्रयाग में अलकनन्दा में पिण्डर नदी मिलती है।

रुद्रप्रयाग में मन्दाकिनी या काली गंगा इससे मिलती है। गंगा नदी की कुल लम्बाई 2525 किमी है। उत्तर प्रदेश में 1450 किमी, बिहार में 445 किमी एवं प बंगाल में 520 किमी बहती है।

गंगा के दाहिने तट से मिलने वाली नदियाँ

सोन: अमरकंटक पठार से निकलती है, कैमूर अंश से होते हुए पटना में गंगा से मिलती है। यह (784 किमी लम्बी है)। सोने की शाखा रिहन्द नदी पर रिहन्द

यमुना बन्दरपुंछ के निकट यमुनोत्री हिमनद से निकलती है। इलाहाबाद में। गंगा से मिलने के पूर्व 1,376 किमी बहती है। चम्बल, बेतवा, केन, सिन्ध इसकी सहायक नदियाँ हैं, जो यमुना के दाहिने तट पर आकर मिलती है।

दामोदर पलामू के निकट एक झरने से निकलकर 541 किमी की लम्बाई में प्रवाहित होती है। फुलटा के पास हुगली नदी में मिलती है। इस नदी पर मैशान, तिलैया, कोनार, अटयर, बर्गो आदि बाँध निर्मित है। धनबाद एवं दुर्गापुर महत्वपूर्ण शहर है।

गंगा के बाएँ तट से मिलने वाली नदियाँ

गोमती पीलीभीत जनपद के निकट इसका उद्गम, गाजीपुर के निकट गंगा के मिलने के पूर्व 940 किमी बहती है। लखनऊ एवं जौनपुर शहर अवस्थित है। राई, जोमकाई, बर्ना, गच्छाई, चुहा आदि सहायक नदियाँ है।

शारदा नदी कुमाऊँ के निकट मिलाप हिमनद से निकलती है। 480 किमी प्रवाहित होते हुए बहराम घाट के निकट घाघरा में मिलती है।

घाघरा भारवाचुंगर हिमनद से निकलती है। 1080 किमी प्रवाहित होते हुए छपरा के निकट गंगा से मिलती है। अयोध्या इसी नदी के किनारे पर बसा है।

गण्डक नेपाल सीमा पर धौलागिरि पर्वत श्रेणी से निकलती है। 300 किमी प्रवाहित होते हुए पटना में गंगा से मिलती है। त्रिवेणी के पास बैराज निर्मित हैं।

कोसी तिब्बत में माउण्ट एवरेस्ट के उत्तर से निकलती है। यह एक पूर्ववर्ती नदी है, अरुण इसकी मुख्य धारा है। यह अपनी धारा बदलने के लिए विख्यात है।

ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र

मानसरोवर झील के निकट कलाश पर्वत से निकलती है। कुल 2900 किमी की लम्बाई में 1346 किमी भारत में प्रवाहित होती है। लद्दाख में ‘सापू’ नदी के नाम से, असोम में घियांग’ के नाम से अरुणाचल में ‘दिहाग’ के नाम से, असोम में ही ‘ब्रह्मपुत्र’ के नाम से एवं बांग्लादेश में मेघना के नाम से प्रवाहित होती है। ग्वालन्दों के निकट पद्मा (बांग्लादेश में गंगा इसी नाम से जानी जाती है) में मिलती है। डिबोंग, लुहित, सेसरी, नीचा दिहांग, स्वर्ण सीरी, भाद्री, धनसीरी आदि सहायक नदियाँ हैं गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ आदि प्रमुख शहर है।

प्रायद्वीपीय अपवाह तन्त्र

गोदावरी नदी तन्त्र नासिक के निकट त्र्यंबक नामक स्थान से निकलती हुई. 1450 किमी प्रवाहित होती है एवं राजमुन्दरी के निकट बंगाल की खाड़ी में मिलती है। राजमुन्दरी के निकट एनीकट बाँध का निर्माणा पेन गंगा, वेन गंगा, वर्धा, प्राणहिता, इन्द्रावती महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ हैं। नासिक, भद्राचलम, नांदेड़ नगर अवस्थित है।

कृष्णा नदी महाबलेश्वर के निकट पश्चिमी घाट से प्रवाहित होती है। 1400: किमी लम्बाई में बहती हुई विजयवाड़ा के निकट बंगाल की खाड़ी में प्रवाहित होती है। श्रीसलम बाँध, नागार्जुन सागर बाँध एवं धोम बाँध निर्मित हैं। सतारा एवं विजयवाड़ा महत्वपूर्ण शहर बसे हैं।

तुंगभद्रा नदी तुंग एवं भद्रा नदियों से मिलकर बनती है। 640 किमी लम्बी, कर्नूल के पास कृष्णा की सहायक बनती है।

कावेरी नदी कर्नाटक के कुर्ग जिले में ब्रह्मगिरि पहाड़ियों से निकलकर 805 किमी लम्बाई में प्रवाहित होती है एवं तमिलनाडु में कारकौल के निकट बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

नर्मदा नदी मध्य प्रदेश में अमरकंटक की पहाड़ियों से निकलती है एवं 1312 किमी प्रवाहित होती है। यह अंश घाटी से होकर बहती हुई भड़ौच के निकट. अरब सागर में गिरती है। सरदार सरोवर बांध इन्दिरा सागर बाँध, महेश्वर बाँध, ओंकारेश्वर बाँध आदि कई महत्त्वपूर्ण बाँध निर्मित हैं। पश्चिम की ओर प्रवाहित होती है।

ताप्ती नदी बैतूल जनपद के मुल्ताई नगर से निकलती है एवं खम्भात की खाड़ी में गिरने के पूर्व 724 किमी प्रवाहित होती है। इस पर काकरापारा एवं उकाई बाँध निर्मित हैं, सूरत महत्त्वपूर्ण शहर है। पश्चिम की ओर प्रवाहित होती है।

महानदी छत्तीसगढ़ के रायपुर जनपद में सिहावा के निकट से निकलती है। कटक के निकट नरज नामक स्थान पर ‘कटजूरी’ एवं ‘बिरूपा’ नाम की दो धाराओं में बँटकर बंगाल की खाड़ी में गिरने के पूर्व 857 किमी बहती है। हीराकुड, तिरकपाड़ा ओर बरोज बाँध निर्मित हैं। कांकेर, सम्भलपुर, कटक

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