📍 परिचय (Introduction)
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में स्थित माँ दंतेश्वरी मंदिर (Maa Danteshwari Temple) न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक आस्था का केंद्र भी है। दंतेवाड़ा शहर में शंखिनी और डंकिनी नदियों के संगम पर बना यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यहाँ माता सती का ‘दांत’ (Tooth) गिरा था, इसलिए इस जगह का नाम दंतेवाड़ा पड़ा। बस्तर के आदिवासी और राजपरिवार दोनों ही माँ दंतेश्वरी को अपनी कुलदेवी मानते हैं।
📅 इतिहास और महत्व (History & Significance)
इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में चालुक्य राजाओं (काकतीय वंश) द्वारा करवाया गया था। दक्षिण भारतीय वास्तुकला (Architecture) की झलक इस मंदिर में साफ दिखाई देती है। इतिहासकारों के अनुसार, जब काकतीय राजा अन्नमदेव वारंगल से बस्तर आए, तो माँ दंतेश्वरी उनके संरक्षण के लिए उनके पीछे-पीछे आई थीं।
बस्तर दशहरा (Bastar Dussehra), जो दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला त्यौहार है (75 दिन), पूरी तरह से माँ दंतेश्वरी को समर्पित है। इस दौरान मंदिर की छटा देखते ही बनती है और देश-विदेश से लाखों पर्यटक यहाँ आशीर्वाद लेने आते हैं।
कैसे पहुँचे (How to Reach)
| साधन (Mode) | विवरण (Details) |
|---|---|
| ✈️ हवाई मार्ग | निकटतम एयरपोर्ट: जगदलपुर (JGB) (लगभग 80 किमी)। रायपुर एयरपोर्ट यहाँ से करीब 350 किमी दूर है। |
| 🚆 रेल मार्ग | नज़दीकी रेलवे स्टेशन: दंतेवाड़ा (Dantewada)। विशाखापत्तनम-किरंदुल लाइन पर स्थित है, यहाँ तक सीधी ट्रेन आती है। |
| 🚌 सड़क मार्ग | रायपुर और जगदलपुर से नियमित बसें चलती हैं। जगदलपुर से टैक्सी या बस द्वारा 2-3 घंटे में पहुँचा जा सकता है। |
🚗 प्रमुख शहरों से दूरी (Distance Chart):
- जगदलपुर से: ~80 km
- रायपुर से: ~380 km
- विशाखापत्तनम से: ~400 km
- हैदराबाद से: ~550 km
🕒 घूमने का सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit)
वैसे तो आप यहाँ साल भर जा सकते हैं, लेकिन अक्टूबर से मार्च का समय सबसे अच्छा है।
- खास समय: अगर आप यहाँ की संस्कृति देखना चाहते हैं, तो दशहरा (सितंबर-अक्टूबर) या फागुन मड़ई (फरवरी-मार्च) के दौरान जाएं।
🌄 क्या देखें (Things to See Around)
मंदिर दर्शन के बाद आप आसपास की इन जगहों पर जा सकते हैं:
- भैरम बाबा मंदिर: दंतेश्वरी मंदिर के पास ही स्थित।
- शंखिनी-डंकिनी नदी संगम: मंदिर के पीछे, जहाँ का पानी अलग रंगों का दिखाई देता है।
- बरसुर (Barsur): (30 किमी दूर) – यहाँ का ‘मामा-भांजा मंदिर’ और विशाल गणेश प्रतिमा प्रसिद्ध है।
- सात धार (Saat Dhar): इंद्रावती नदी का एक सुंदर पिकनिक स्पॉट।
🏕️ रहने और खाने की जगह (Stay & Food Options)
रुकने के लिए (Stay):
- Madhuban Hotel: दंतेवाड़ा में अच्छा विकल्प है (किराया: ₹1000 – ₹2000)।
- Government Circuit House: बुकिंग पर उपलब्ध।
- ज्यादातर पर्यटक जगदलपुर में रुकना पसंद करते हैं क्योंकि वहाँ ज्यादा अच्छे होटल हैं।
खाने के लिए (Food):
- मंदिर के पास छोटे होटलों में शुद्ध शाकाहारी भोजन और दक्षिण भारतीय नाश्ता (इडली-डोसा) आसानी से मिल जाता है।
🏕️ 📸 फोटो गैलरी (Photo Gallery)

🧭 लोकेशन मैप (Location Map)
💬 स्थानीय लोगों का अनुभव (Local Insight)
“माता के दर्शन मात्र से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर परिसर में जो गरुड़ स्तंभ है, लोग मानते हैं कि उसे बांहों में भरने से मन की मुराद पूरी होती है।” — पुजारी जी, दंतेश्वरी मंदिर
🌐 महत्वपूर्ण जानकारी (Travel Info Table)
| विवरण (Parameter) | जानकारी (Information) |
|---|---|
| जिला (District) | दंतेवाड़ा (Dantewada) |
| मंदिर का समय | सुबह 6:00 बजे – रात 9:00 बजे तक |
| आरती का समय | सुबह 7:00 बजे और शाम 7:30 बजे |
| प्रवेश शुल्क | नि:शुल्क (VIP दर्शन की व्यवस्था अलग हो सकती है) |
| ड्रेस कोड | पारंपरिक परिधान (धोती-कुर्ता/साड़ी) अनिवार्य है (गर्भगृह के लिए)। |
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
हाँ, अगर आप मुख्य गर्भगृह (Main Sanctum) के अंदर जाकर पूजा करना चाहते हैं, तो पुरुषों को धोती (जो वहां मिल जाती है) पहनना अनिवार्य है। सामान्य दर्शन के लिए इसकी जरूरत नहीं है।
दंतेवाड़ा अब पर्यटकों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। मुख्य मंदिर और पर्यटन स्थल पुलिस की सुरक्षा में रहते हैं और सड़कें बहुत अच्छी हैं।
हाँ, मंदिर ट्रस्ट द्वारा सूखा प्रसाद (लाई-चना और मिठाई) की व्यवस्था है।
❤️ निष्कर्ष (Conclusion)
माँ दंतेश्वरी का मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि बस्तर के इतिहास और कला का एक जीता-जागता सबूत है। अगर आप छत्तीसगढ़ आ रहे हैं, तो शक्तिपीठ के दर्शन के बिना आपकी यात्रा अधूरी है।
📢 Call to Action (CTA)
क्या आप भी माँ दंतेश्वरी के दर्शन कर चुके हैं? अपना अनुभव कमेंट बॉक्स में लिखें! जय माँ दंतेश्वरी! 🙏

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